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लेखनी प्रतियोगिता -01-Jul-2023


जिन पांवों के नीचे सारी
निधियां रहती हैं
जिनकी महिमा वेद उपनिषद
श्रुतियाँ कहती हैं
मर्यादा के स्वामी यूं
करतब दिखलाते हैं
भक्तों का हित करने 
नँगे पांव चले आते हैं।

प्रेम के मारे राजकुमार
भरत वन आये
भैया से घर वापस आने
को समझाए
लेकर साथ खड़ाऊँ लौटे
चौदह बरस बिताने
नँगे पांव चले रघुनंदन
फिर वनवास निभाने।

निर्धनता की सीमा भक्त
सुदामा आये
भव्य पुरी को देख मन
ही मन लजियाये
लौटे भक्त सुदामा अपने
घर वापस जाने को
नँगे पांव ही दौड़े मोहन
मित्र मनाने को।



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5 Comments

Swati chourasia

03-Jul-2023 02:00 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना 👌

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Gunjan Kamal

03-Jul-2023 06:31 AM

👏👌

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madhura

02-Jul-2023 10:05 AM

nice

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